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सहित अलंकृत को देखे नहीं कदाचित् नज़र जापड़े तो दि० दृष्टि को पीछे मोड़े भ० (जैसे) सूर्य पर दृष्टि जापड़े तो जलदी पीछे मुड़जाये इत्यर्थः भला मूर्ति पूजनी सही किस तरह इस गाथा में होगई,खैर बड़ी बड़ाई। कहते हो कि स्त्री की मूर्ति देखने काम जागता है और भगवान की मूर्ति देखने से | वैराग्य जागता है सोई काम जागने का और
वैराग्य जागने का वास्तव तत्व समझ कर देखो तो वडा फर्क दिखाई देगा सो अगले | प्रश्न के जवाब में लिखेंगे॥
फिरपत्र २९४ वें पर लिखा है कि किसी ने प्रश्न किया कि भगवान के नाम लेने से प्रणाम शुद्ध हो जाते हैं तो फिर प्रतिमा के देखने में क्या नफा है तो इस प्रश्न का जवाब