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के पूजने पर इतना डम्भ और पक्षपात उठाया है और पिछले आचार्यों का उपदेश और चाल चलन उलट पलट और की और तरह करा है सो उसी प्रतिमा के पूजन में जो नफा होता है उस नफे का पाठ सूत्र में से कोई न मिला तो यह खिशानां सा मेंहने रूप जवाब लिख धरा है, खैर तदपि हम तुम्हारे जवाब को खण्डन करते हैं कि पोथी को पलंग और चौकी पर अपने पढ़ने के आराम वास्ते रखते हैं और मत्थे पर तो कोई मत पक्षी रखता होगा और अच्छे कपड़े में तो अपने उपकरण की रक्षा वास्ते रखते हैं परन्तु पोथी की पूजा तो नहीं करते हैं यथा
नमो ब्रह्मलिपये' इति अस्यार्थः, नमस्कार हो ब्रह्म ज्ञानी की लिखित को भावार्थ सो