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पत्र ३७१वं पर लिखा है कि “ आवश्यक सूत्र में लिखा है कि सामायिक में देवस्नान पूजादिक न करे। तर्क० क्योंकि इसमें ऐसा संभव होता है कि उत्तम कार्य में मध्यम कार्य संभव ही नहीं है अर्थात् संबर में आश्रव न करे इस वास्ते सामायिक में पूजा निषेध करी है । फिर ४१७ वें| पत्र पर लिखा है कि सामायिक तो निर्धन
श्रावक करे पूजा की सामग्री के अभाव से || फिर लिखा है कि पूजा होती हो तो सामायिक बीच में ही छोड कर पूजा में फूल गूंथ ने बैठ जाय क्योंकि पूजा का विशेष पुण्य है यह देखो परस्पर विरुद्ध है ॥ १६ ॥ ४१७ पत्र पर लिखा है कि मन्दिर में मकड़ी के जाले होजावें तो साधु मन्दिर के नौकर द्वारा उत