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दोनों साथलों में बृक्षभ का लछन लिखा है" फिर पत्र १५ वें पर २४ चौबीसों तीर्थङ्करों के पगों में लछन हुए लिखा है यह परस्पर विरुद्ध है पत्र ८३वे परलिखा है (अनुष्टुब्बृतं) श्लोकः-महाव्रत धराधीरा, भैक्षमात्रोपजीविनः ।
समाजिकस्था धर्मोप देशका गुरवो मताः॥१॥
इस श्लोक में ऐसा परमार्थ है कि साधु धर्मोपदेश जीवों के उद्धार के लिये करेज्ञान दर्शन चारित्र का परन्तु ज्योतिष, यंत्र मन्त्र का उपदेश धर्महानि करने वाला है सो न करे । फिर पत्र ५७७वें पर लिखा है कि धर्म घोष सूरी ने मंत्र से स्त्रियों को पकड़ा था और बांधा था । तर्क० जेकर तुम ऐसा कहोगे कि उन्होंने अपने दुःख टालने के लिये बांधा था तो हम उत्तर देंगे कि मन्त्र