________________
(
१
)
आदिक का करना वा कराना क्या अपने दुःख टालने के वास्ते होता है या पराये दुःख टालने के वास्ते ? और बिना कारण तो कोई भी विद्या मंत्र नहीं फोरता है सोई सूत्र में तो काम पड़े भी मंत्र आदिक विद्या फोरने की आज्ञा नहीं है प्रत्युत (बल्कि) सूत्र में तो ज्योतिष विद्या फोरने वाले को पापी समान कहा है उत्तराध्ययन १७वां तथा अध्ययन २०वां गाथा ४५ वीं "जेलरकणं सुविणं पउंजमाणे निमित्तकोऊ हलसंपगाढे कुहेडविजा सवदार जीवीनगछई। सरणं तंमिकाले ॥ १॥ __ और तुमने भी अपने हाथ से५३८ वे पत्र पर लिखा है कि विष्णु कुमार साधु ने सम्पूर्ण भारतखंड के साधुओं के बचाने अर्थात्