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के दीक्षा वृक्ष लिखे हैं लेकिन सूत्र में दाक्षी वृक्ष नहीं चले किन्तु सूत्र में “चेइयवृक्ष" अर्थात् ज्ञान वृक्ष चले हैं कस्मात् जिस २ वृक्ष | के नीचे केवल ज्ञान, तीर्थङ्करों को प्रगट भया, अस्मात् यह समवायाङ्ग में देख लेना, लिंगियों का लिखना चौवी सोई बोलों में विरुद्ध है।
(४) पद्म प्रभु जी को “एक उपवास से योग लिया” लिखा है यह भी सूत्र से विरुद्ध अर्थात् झूठ है ॥ ___ (५) वास पूजजी को दो उपवास से योग लिया लिखा है यह भी झूठ है क्योंकि समवायाङ्ग सूत्र में पद्मप्रभुजी को दो उपवास
और बासपूजजी को एक उपवास से योग लिया लिखा है ॥
(६) मल्लिनाथ जी का जन्म कल्याण
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