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अनाज्ञा का विचार किया है और कुछक देशाटन करने के कारण सुनी सुनाई। भ्रमजनक कल्पित कहानियें लिखी हैं, और कुछक मगवलम्बियों ने जो अपनी पटावली रची है सो उनमें से कथन लिखा है और कुछक सारम्भी सप्रग्रही कुगुरा का कथन लिखा है, और कुछक अभिमान के वश होकर पूर्वक इंडिये साधुओं के बड़े माननीय महात्माओं की निन्दा रूप कहानियें बना कर लिखीं हैं परन्तु असत्य बोलने वा लिखने से मन में कुछ भय नहीं किया और कुछक अपने बड़े पुरुषों के विद्या मंत्र आदि दम्भ की असंभव, मिथ्या ही बडाइयें लिखी हैं सो इत्यादि कथन जैन तत्वादर्श ग्रन्थ में आत्माराम संवेगी ने स्वकपोल कल्पित और अनर्गल रचे हैं।