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श्रम करके इस ग्रन्थ में लिखित करी है और कई एक प्रचीन शास्त्रों में से जैन आनाय के अवतारों का और गुरूनिग्रन्थ का और धर्म का कथन किया है और कई एक पूौं | के ज्ञान विछेद हुए पीछे यति लोकों ने कुछ तो प्राचीन शास्त्रानुसार और कुछ अपनी बुद्धि अनुसार से ग्रन्थ रचाये हैं सो उन में से श्रावकवृत्ति आदिक का कथन लिखा है सोई जो प्राचीन शास्त्रों के अनुकूल कथन किया है सो तो बहुत सुन्दर और सत्य है, और जो नवीन शास्त्रों से तथा अपनी युक्ति (दलील) से लिखा है सो कुछ सम्भव है, और कुछ असंभव है, क्योंकि उसमें कुछ सावध निवद्य का विचार नहीं किया है, और नहीं कुछ जिनकी आज्ञा वा
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