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एकान्त तप करती को देख कर पेढाल नाम संन्यासी ने व्यामोह करके विद्या वल से उस की योनि में विना मेथुन किये ही वीर्य संचार कर दिया फिर उस में से सत्य का पुत्र पैदा हुआ और उस पुत्र का नाम सत्यकी रक्खा और लिखा है कि सत्यकी अबृत्ति समदृष्टि श्रावक हुआ और महावीर जी का परम भक्त हुआ है और फिर रोहणी विद्या साधी और उस विद्या ने उस के मस्तक में को प्रवेश किया इस लिये वहां तीसरा नेत्र हुआ है फिर उसने अपने संन्यासी पिता को मार दिया था कि इस ने कुमारी कन्या की निन्दा कराई थी, इस लिये वह रुद्र (नाम) कहाया और फिर काल दीपक विद्याधर को समुद्र में विद्या खोस के मार दिया और अ ।
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