________________
( २९३ )
वस्तु को इकठ्ठी पास अड़ा के न रक्खे ।
और ३ तीसरे साधु की भिक्षा का वक्त बीते पीछे भावना भावनी, सो कालाई कम्मे दोष है क्यों कि समय पर भावना भावे तो शायद सुफल भी होजाय और बिना समय तो अकाल में मेघ मांगनेवत् है । और चौथे ४ जो गृहस्थी आप एकान्त बैठा हो तो प्रमाद के वस होके दूसरे को आहार पानी देने का काम न सौंपे अपितु आपही देवे क्यों कि आर्य देश कुल आदिक की सामग्री, बिना सुपात्र दान की योग वाई कहां धरी है इत्यर्थः। और ५ पांचवें आहार पानी देने के पहिले वा पीछे अहंकार न करे जैसे कि मैं बड़ा दाता हूं मेरे तुल्य और यहां कौन दाता है, हे स्वामी नाथ ! जो आप को