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( २-३ )
नर काज बिना पर घर डोले, कण्ठ बिना नर शब्द करे नर प्रेम बिना लोचन घोले, आहार निद्रा में लीन सदा मूर्ख लछन इन पर बोले || १ || बिना भूख खाय सो मूर्ख ॥ २ ॥ अजीर्ण पै खाय सो मूर्ख ॥ ३ ॥ घना सोय सो मूर्ख ॥ ४ ॥ घना चले सो मूर्ख ॥ ५ ॥ घनी देर पैरोंके भार बैठे सो मूर्ख ॥ ६ ॥ बड़ी नीति छोटी नीति की बाधा रोके अर्थात् दस्त पेशाब का प्रवाह रोके सो मूर्ख ॥ ७ ॥ नीचे को सिर ऊपर को पैर करके सोवे सो मूर्ख ॥ ८ ॥ सारी रैन स्त्री सहित शय्या में सोवे आर्थात् वारवार विषय सेवे सो मूर्ख || ९ || सोलह वर्ष की उमर हुए बिना मैथुन सेवे सो मूर्ख क्योंकि बल और विद्या की हानि हो जाती