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भवसागर में डूबने से उद्धार हो जायगा तस्मात कारणात धर्मोपेदश बहुत श्रेष्ठ है क्योंकि वाह्य दृष्टि में जाति और वर्ण का विशेष है परन्तु अन्तर्दृष्टि अर्थात् ज्ञान कर के देखें तो वास्तव में कुछ भेद नहीं है यथा ज्ञानी कौन ! जो स्वहित जाने । अज्ञानी कौन!जो स्वहित न जाने। अन्धा कौन! जो अपने अवगुण और पराए गुण न देखे । सुनाखा कौन जो अपने अवगुण पराये गुण देखे । चतुर कौन जो भली शिक्षा माने ।
और अपने अवगुण और परगुण प्रकाश करे। मूर्ख कौन जो भली शिक्षा न माने । और अपने गुण और परअवगुण प्रकाश करे यथा छपै, मानबिना एक स्थान रहे । नर ज्ञान बना चर्चा-खोले, पक्ष बिना झगड़े पख से