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पूर्वक दोष होता है और जितनें चूहे मारे उतने ही विहारथ की पशु योनि में जन्म करने पड़ते हैं और उतने ही कई जन्मों में | बेटा बेटी मरते हैं ||
और जो वह कृषाण ऐसे कहे कि हम इन चूहों को न मारें तो ये हमारा अनाज खाजाये तो फिर उस को ऐसा उत्तर देना चाहिये कि हे भाई ! जो तेरी परालब्ध यानि भाग अच्छे होंगे तो चूहों के खाते भी नफा हो रहेगा और जो तेरे भाग हीन होंगे तो चूहों के मारे से भी घाटा रहेगा जैसे कि सोका पड़ जाय तथा डोबा पड़ जाय तो खेत में कुछ भी पैदा न होगा तथा खेत में चोरी हो जाय तथा आग लग जाय तो फिर तू क्या करेगा इस्से पहिले ही दया