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अफ़सोस नहीं करते हैं जैसे कि देखो येह पशु हमारी तरह सुख को चाहते हैं और खाने को खाते हैं और ठंडा पानी पीते हैं
और सात धातु की पैदायश से मेद पूरित मल मूत्र से भरे हुए हैं और अपनी जाति की स्त्री से काम सेवन करते हैं और बच्ची बच्चे में प्रीति करते हैं और जीवन चाहते मरने से डरते हैं तो फिर इन के मारने में हम को बड़ा दोष होगा क्योंकि सब मतों में परजीव को पीड़ा देनी बड़ा अधर्म कहा है और दया यानि रहमदिली सब मतों में अच्छी कही है यथा “नधम्मं कज्जं पर्मत्थकज, न प्राणी हिस्सापर्मअकज्ज" इति वचनात् । और फार्सी वाले भी असे कहते हैं कि “दिल किसीका न दुखा अए दिल