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पूरणा करने को कहां जावें और ये तो तेरे को काटे ही हैं कुछ तुझे जान से तो नहीं मारते हैं फिर तू भी इन को एकान्त ठिकाने गेर देने का यत्नकर पर तू मार मत क्योंकि ये तो अनाथ जीव हैं इन को तो भले बुरे की खबर नहीं है और तू तो मनुष्य है और समथे है और परमेश्वर को और पुण्य पाप को जानता है फिर तू उन गरीब जीवों का शिकार करता है और ऐसा अन्याय करता है कि वे तो तुझे काटे ही हैं और तू उनको
जान से मार गेरे है सो ऐसा न चाहिये | क्योंकि सुना है कि महा भारत में लिखा है कि ॥ यूकामत्कुणदन्शायैयाँ वन्न वाधिता तनुः पुत्रवत परिरक्षन्ति ते नराः स्वर्गगामिनः |॥१॥ और ५ पांचवें जो कहीं खेत क्यारी में