________________
( २६० )
उत्तम पुरुषों की और भगवान के धर्म की भी निन्दा होती है यथा कोई मनुष्य सिपाही की बर्दी पहन कर किसी का माल लूटले तो लोक ऐसे कहें कि देखो सरकार ही लूटने लग गई और जो बर्दी उतार ली जाय तो फिर कुछ करता फिरो सरकार की कुछ बदनामी
नहीं होती और नहीं तो बन्दना पूजना | छोड़ देवे क्योंकि गुण की पूजा है कुछ देह | की पूजा नहीं है अपितु गुरु के चरणों की
तर्फ ही न देखे कुछ गुरु के चलणों की तर्फ भी देखना चाहिये कि गुरु के चलन क्या हैं परन्तु ऐसे न करे कि दोहा-सोना पीतल | सारिषा, पीले की परतीत । गुन अबगुन जानें नहीं, सब से कह अतीत ॥ १ ॥ जैसे अनेरे मूर्ख जन ऐसे कहते हैं कि