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मुख्तार नामाले बैठना और अपने सगेभाई को तो विलांद यानि १२ अंगुलि जगह भी नहीं और झगड़े में लाखों रुपया खर्च कर देना इत्यादि ॥ । ७ वें, धर्म कार्य अभय दानादिक देने में द्रव्य खर्चने का काम पड़ जाय तो अपने से सरे तो आप ही उद्यमवान होय न तो और सह धर्मी भाइयों को प्रेरे कि अमुका धर्म कार्य करना है सो तुम भी यथा श्रद्धा द्रव्य लगाओ क्योंकि संसार सम्बन्धी अनेक कार्यों में कल्लर स्थल बीज भूत द्रव्य लगाया जाता है और धर्म कार्य तो निर्जरा तथा नीचा स्थल बीज भूत पुण्य पूंजी का उपाजन है सो धर्म कार्य में द्रव्य खर्चने का कंजूस पन करना न चाहिये ॥
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