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( सो ) ३ धातु पिता के अंग बल से होती हैं हाड १ हाडकी मिंजी २ केश रोम नख ३ | और ४ धातु माता के अंग बल से होती हैं मांस १ रुधिर २ चर्म ३ वीर्य ४ ॥
सवैया ३१ सा मांस हाड चांग नस मेद गूद बस मज्जा केश शुक्र मिल यह पिंड रच्यो है | सुचि कौन अंश प्रशंश या की करे कौन चांग के सो थैला मैला मैल ही सुं मच्यो है | महारुठो झुण्ठो ढीठ छिन में अनूठा होत लंपट निपट लोभी लालच में लच्यो है || असो राज देह यासें कीजिये कहा स्नेह यासे नेह कर नर कहो कौन बच्यो है || १ || अम्बर अनूप मृग नाभी घन सार घस कुंकम चन्दन घोर खोर आछी कीजिये | चोवा मेद जवाद सुं चरचित्त चारूचित्त अर