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कोई इस बात पै ऐसे तर्क करे कि भला गुरु की तो सेवा भक्ति करली परन्तु अपने देव धर्म की शुश्रूषा कही सो देवअरिहंत वा कोई अवतार कलिकाल में प्रकट नहीं है तो फिर शुश्रूषा कैसे करी जाय ? ____उत्तर-अरे ! भाई ! देवधर्म की शुश्रूषा ऐसे कहाती है कि जो कोई भारी कर्मी देव धर्म की निन्दा आदि अपमान करता हो जैसे कि ऋषभादि पर्यंत महाबीर स्वामी, क्या जैन के अवतार हुए हैं और क्या जैन का धर्म बताया है, तो उस को खिष्ट करे
और ऐसे कहे कि जैन के देव धर्म का स्वरूप शास्त्रों द्वारा और जैन की प्रवृत्ति बमुजिब देखो कि कैसे जैन के अवतार शान्ति दान्ति निस्पृह परम विरक्त और
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