________________
( २४० )
को विहार करे उस क्षेत्र के श्रावकों को चिट्ठी आदिक में खबर देवे कि अमुके साधु तथा महा सतीजी ने अमुके दिन तुम्हारे क्षेत्र को विहार यानि पहुंचने की श्रुता करी है ।
और ऐसे ही जब साधु तथा साध्वी अपने क्षेत्र में जिस क्षेत्र से पधारे यानि आवे तो उस क्षेत्र वाले श्रावकों को खबर देवे कि अमुक साधु तथा साध्वी अमुक दिन सुख साता से विराजमान हुए क्योंकि रास्ते में निरारम्भ धर्म के अनजान लोगों के ग्रामों में किसी प्रकार का कष्ट परिसह तथा दुःख दर्दादिक उत्पन्न हो के बिलम्ब लग जाय तो दोनों क्षेत्रों वाले उपासकों को ख्याल रहेगा कि रास्ता तो थोड़े दिनों का था, परन्तु अब तक साधु आये नहीं तथा पहुंच