________________
( २३६ )
शौक के वास्ते तो बैठकों में खूब चद्दर चान्दनी तानते हो और दया के निमित्त चूल्हे पर चन्दोआ नहीं ताना जाता है, और खुला दीवा न रक्खो क्योंकि खुले दीवे में अनेक पतङ्ग आदि जन्तु पड़ के मर जाते हैं, और ढके हुए दीवे अर्थात् लालदैंन आदिक में दो प्रकार के फायदे हैं एक तो लौकिक और दूसरा लोकोत्तर सो लोकिक मैं तो मकान काला नहीं होता और चूहा बत्ती न लेजाय जो बुगचे आदिक में आग न लगे और फूल तथा स्याही गिर के किसी पै पड़े नहीं और लोकोत्तर में जीव यत्न होने से दया धर्म होता है और बिना छत्ते मकान में भट्ठी न करो और जो करो तो पूर्वक अनर्थ जान कर आस्मानादिक का