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अठासी हज़ार पहर हुए जो १ पहर का व्रत करे तो पूर्वक १००० वर्ष के नर्क के बन्धन तोड़े और १ दिन रात के ३० महूर्त अर्थात् द्विघड़िये होते हैं तो १०० वर्ष के दस लाख अस्सी हजार महूर्त हुए सो जो दो घड़ी का व्रत करे तो पूर्बक १०० वर्ष के नर्क के बंधन तोड़े और १ महूर्त में ३७७३ सैंती सौ तिहत्तर श्वासोच्छ्वास होते हैं तो १०० वर्ष के चार सौ सात किरोड़ अठतालीस लाख चालीस हज़ार श्वासोच्छ्वास हुए सो जो एक श्वासोच्छ्वास भी शास्त्रादि सुनते परम वैराग्य में आजाय तो भी जन्म कृतार्थ होजाय और तपः फलस्य किं कथनम् । सो हे बुद्धिमान पुरुषो ! बल पाने का यही सार है जो तप का करना और धन पाने का यही