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की स्त्री को धर्म कार्य में प्रेरे कि तुम समा यक, संवर करो और प्रथम तो शास्त्री अक्षर सीखो क्योंकि आर्य धर्म शास्त्री सीखे बिना प्राप्त होना मुश्किल है तस्मात् कारणात् बेटा बेटी को प्रथम शास्त्री सिखानी चाहिये और | ९ नौ तत्वों का स्वरूप सीखो जैसे कि ९ नौ तत्व का नाम ॥
१ प्रथम जीव तत्व । सो जीव चैतन्य अरूपी अखण्डित अविनाशी है, जीव कर्म को कर्त्ता है और कर्म को भोक्ता है जीव सुख दुःख का वेदी है और अनादि है जीव संसारी है जीव ही को मोक्ष प्राप्त होता है।
२ दूसरा अजीव तत्व । सो अजीव जड़ रूप अचैतन्य और अरूपी और रूपी भी है अजीव कर्म को कर्त्ता नहीं और भोक्ता नहीं
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