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अजीव सुख दुःखका वेदी नहीं अजीव अनादि है अजीव परमाणु पुट्गल संसार स्वरूप है ।
३ तीसरा पुण्य तत्व । सो पुण्य अर्थात् सुकृत परोपकार दानादि रूप करना दुहेला और भोगना सुहेला जैसे बीमार को पथ्य करना दुहेला जो पथ्य करे तो सुखी होय ॥
४ चौथा पाप तत्व । सो पाप हिंसा मिथ्यादि रूप करना सुहेला और भोगना दुहेला जैसे बीमार को कुपथ्य करना सुहेला जो कुपथ्थ करे तो दुःखी होय ॥
५ पांचवां आश्रव तत्व । सो आत्मा रूपी तलाव और आश्रव रूपी नाले जिस के द्वारा पुण्य पाप रूपी पानी आवे तिस को आश्रव कहते हैं।
६ छठा सम्बर तत्व । सो आत्मा रूपी
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