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१६ तारत ं ॥। १७ माया मोस ॥ १८ भेषधारी मायावी
तथाछल सहित झूठ
हसना रोना खुशीदिलगीरी मिथ्या दर्शन सल्य || इति मिथ्या रूप समदृष्टि के विषय में भ्रम रूप सल्य
२ शिक्षा और फिर सूर्य उगे पीछे समायकादि पूर्ण हुए पीछे माता पिता को और बड़े भ्राता को बड़ी भौजाई, बड़ी बहन को नमस्कार करे और सुख साता पूछे और उन को धर्म कार्य में प्रेरे कि तुमने आज समायक करी अथवा नहीं और नगर में जो साधू तथा साध्वी विराजमान हों उनसे जैसे कहे कि तुम दर्शन करो और व्याख्यान सुनो क्योंकि मनुष्य जन्म का यही फल है और स्त्री को तथा पुत्र पुत्री को तथा पुत्र