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न करना तथा माता पिता और शाह का और विद्या गुरु का और धर्म गुरु । का सामना करना कडुआ बोलना और निन्दा करनी तथा देव गुरु धर्म की कस्मखानी और तूं २ क्या है २ इत्यादि निरर्थक कलह का करना सो न चाहिये ॥ और ४ चौथे संयुक्त अधिकरण (सो)पापकारी उपकरण पूर्वकछाज छाननी, हल, मुसल आदिक बहुत रखने सो रक्खे नहीं । और ५ पांच में उपभोग्य परिभोग्यअतिरिक्त सो खानेकी पीने की पहरने की वस्तु पै बहुत गिर्द होना अर्थात बहुत मोह करना और अनहुई वस्तु की चाह करनी जैसे कि मेरे पड़ोसी की दुकान हवेली स्त्री आदिक क्या अच्छी है आह मेरे जैसी २ क्यों न हुई, मुझे भी जैसी