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इत्यादि निरर्थक चित्त मलीन करने के और शोक (सोग) पैदा करने के कारण हैं सो न करे और २ दूसरे कुकच सो भंड चेष्टा जैसे कि काणे की, अन्धे की, लंगड़े की, गूंगे की, खाज आदि रोगी की नकल करनी यानि वैसे ही बन के दिखाना फिर हड़ हड़ करके हंसना और औरों को हंसाना अथवा और तिलस्मात् इन्द्रजाल करके कुतूहल करना तथा ख्याल तमाशे सांग नाटक का देखना तथा चौपड़ गंजफा गोली कौड़ी से खेलना इत्यादि निरर्थक काल का और काज का विगोवना है क्योंकि इस में कुछ लाभ का कारण नहीं है तस्मात् कारणात् भंड चेष्टा न करे, और ३ तीसरे मुखारि (सो) नाहक गाली देनी यानि गाली बिना बात का