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चाहिये इत्यादि तीव्र अभिलाषा करनी न चाहिये । इति तृतीय गुण ब्रतम् ।।
अथ १ प्रथम शिक्षा व्रत प्रारम्भः
प्रथम शिक्षा ब्रत में समायक करे सो समायक की विधि द्रव्य भाव रूप लिखते हैं १ प्रथम तो अपने सोते हुए ही सूर्य न उगावे अर्थात् सूर्य उगने से पहिले दो चार घड़ी पिछली रात लेके प्रभात समय में उठे बाधा (पीडा) हटजाय पीछे शुचि वस्त्र धारण करके पोषध साल अर्थात् एकान्त स्थान चौबारा आदिक में फल फूल कच्चा फल आदि वार्जित स्थान का रजोहरण तथा सण की नर्म जूड़ी (बुहारी) से पडिलेहणा (प्रमाजन) करे और जो प्रमार्जन करते २ ईंट रोड़ा आगे आजाय तो उसे गरड़ाये ही न