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३ अथ ३ तीसरा अनर्थ दण्ड पाप कर्मोपदेश । सो अपने मतलब बिना हर एक पास पड़ोसी आदिक को ऐसे कहना कि अरे तेरे बछड़े बड़े होगये हैं इनको बधिया करा ले तथा तेरी गाय, घोड़ी स्यानी होगई हैं इनको (गर्भ) गम्भन करा ले तथा तेरी बेटी स्यानी होगई है इसको व्याह दे तथा और आम आमले आदिक बहुत विकने आये हैं सो तुम बैठे क्या करते हो जाओ ले आओ आचार गेर लो अब तो सस्ते मिलते हैं तथा अरे तेरे खेत में झाड़िये बहुत होगई हैं तथा बाड पुरानी होगई है , सो इसको फूंक दे इत्यादि ।इति तृतीयानर्थदंडः।३।
४ चौथाअनर्थ दण्ड, हिन्सा प्रदान । सो १ हल । २ मुसल । ३ चक्की । ४ चर्खा