________________
( २०१ )
२६ प्र० नर्क गति में जाय किस कर्म से ?
उ० सात कुव्यसन सेवे तो. २७ प्र० धनाढ्य किस कर्म से ?
उ० सुपात्र को दान दे के आनन्द पावै तो० २८ प्र. मनोवाञ्छित भोग मिले किस • ?
' उ० परोपकार करे तथा बडों की टहल करे तो० २९ प्र० रूपवान किस कर्म से ० ?
उ० तपस्या करे तो० प्र० स्वर्ग में जाय किस कर्म से ? उ० क्षमा, दया, तप, संयम, करे तो० इति
अथाष्टम ब्रतम् ॥ तथा तृतीय गुण ब्रत प्रारम्भः॥
तृतीय गुण व्रत में अनर्थ दण्ड अर्थात् | नाहक्क कर्म बंध का ठिकाना, तिस का त्याग करे। वह अनर्थ दण्ड ४ चार प्रकार का है सोः
१ प्रथम अवज्झाण चरियं सो आर्त ध्यान अर्थात् १ मनोगम पदार्थ के न मिलने की