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उ० वचा खुचा खा पी के असार (निःसार)
. भोजन साधु को देवे तो० || २२ प्र. वाल विधवा किस कर्म से | उ. अपने पति का अपमान कर के परपति
के साथ रमे तथा कुशीलिनी हो के सती
कहावे तो० ||२३ प्र० वैश्या किस कर्म से ? ___उ० उत्तम कुल की बहु वेटी विधवा हुए पीछे
कुल की लाज से कोई अकर्त्तव्य तो न करने पावे परन्तु सत्संग के अभाव से भोगों की
वाञ्छा रक्खे तो० २४ प्र० जो जो स्त्री व्याहै सो सो मरै (जिस पुरुप
की स्त्री न जीवे) किस कर्म से ? ____उ० साधु कहा के स्त्री सेवे तथा सागी हुई वस्तु
को फिर ग्रहे तथा खेत में चरती हुई गौ
को त्रासे० २५ प्र० नपुंसक किस कर्म से?
उ० अति कूट (महा छल) कपट करे तो०