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हुआ होगा सो जो तुम कहो तो मैं उन से ऐसे कह आऊं कि मैं तो जप तप के प्रभाव से देवता हुआ हूं सो तुम लोगों को भी धर्म में कायम रहना चाहिये, तो फिर वे देवते कहते हैं कि तुमको तुमारे परिवारी जन स्वर्ग का स्वरूप पूछेगे तो तुम बिना स्वर्ग की रचना देखे क्या बताओगे सो तुम चलो स्नान मञ्जन करो और स्वर्ग के रत्नमय स्थान और बाग आदि और अपसराओं के नाटक आदि देखो फिर वह देव वैसे ही करता है और पूर्व प्रीति तो टूट जाती है और और देव देवियों की नयी प्रीति हो जाती है और एक नाटक की रचना को दो हजार वर्षलग जाते हैं इस करके देवता मृत्यु लोक में विना कारण नहीं आ सक्ता है और देवता स्वेच्छा