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कुछ अधिक है और तिस के विषे ७ क्षेत्र
और ६ पर्वत हैं । सो ४ क्षेत्रों में तो निखालस अकर्म भूम मृत्यु अर्थात् मनुष्य हैं और १ क्षेत्र में अकर्म भुम और कर्म भूम मनुष्य शामिल हैं और २ क्षेत्रों में निखालस कर्म भूम मनुष्य हैं सो तिस में से एक क्षेत्र को भारत खण्ड कहते हैं सो भारतखण्ड जंब दीप का १९० वां टुकड़ा है और तिस भारतखण्ड में नदियें और पर्वतों के प्रभाव से छः टुकड़े अर्थात् छः खण्ड हैं सो ३ खण्ड का राज वासुदेव करता है । और ६ खण्ड का राज चक्रवर्ती राजा करता है और इन की छुटाई बड़ाई लंबाई चौड़ाई उंचाई और निचाई जैन के शास्त्र (जीवाभिगम और जंबू द्वीप पन्नति आदिक) में देख लेनी ।