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बांध दो तथा धूप लगे है छाया में कर दो तथा हमें भूख प्यास लगी है सो हमें खाने पीने को दे दो इत्यादि और नाक छिदाते हैं सींग बंधाते हैं और पीठ लदाते हैं और
अपनी हिम्मत से ज्यादा भार बहते हैं और हिम्मत से ज्यादा बाट चलते हैं परन्तु यह नहीं कह सकते कि हम से इतना भार नहीं उठता तथा इतनी दूर नहीं चला जाता, मतलब स्वेच्छा नहीं विचर सकते पराधीन रहते हैं इति । और ३ तीसरे मनुष्य गति में जाने के ४ चार लक्षण कहे हैं । सो १ प्रथम पग भदियाए अर्थात् सरल स्वभावी होय और २ दूसरे पगविणयाए अर्थात् विनयवान् यथा माता पिता के और गुरु के और शाह के तथा और अपने से बड़े पुरुष के साथ मीग
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