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तथा माता पिता का और गुरु का तथा शाह का उपकार भूल के अवर्ण वाद बोलने वाले तथा मित्रद्रोही यानि विश्वास दे के घात करने वाले । ३ तृतीय अलिअवयणे अर्थात् बातर में झूठ बोलने वाले तथा झूठी गवाही देने वाले |४| चतुर्थ कुतुल्ले कुड़माणे अर्थात् कम तोलने, कम मापने वाले ये चार लक्षणों वाले नर तिरवीन ( तिर्यंच) गति में जाते हैं । सो तिरवीन गति कैसी है कि जो मृत्यु लोक में पशु जीव बनचारी तथा गृहों में मनुष्यों ने रक्खे हुए ते गृहचारी पशु ऊंट, बैल, घोड़ा, गधा, गाय, भैंस, बकरी इत्यादि ते लज्जा रहित, सूंग रहित, वस्त्र रहित, जिनका सुख दुःख ताप सीत भूख प्यास परवश है क्योंकि अपना दुःख सुख किसी को बता नहीं सक्ते हैं कि हम को जाड़ा लगे है हमें भीतर