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खाया है उन को लोहे के गर्म रथ में जोत के बज्र के बालु (रेत) गर्म में चलाते हैं ॥ २॥ और जिन्हों ने कोहलू पीड़ने के कर्म करे हैं उनको तिल सरसों की तरह कोहलू में पीड़ते हैं अनार्य मच्छादि मार के १ जन्म के पाप और आर्य कई जन्म के पापों से नर्क में पड़ते हैं ॥ ३॥ यथा जिन्होंने बैङण आदि के भुर्थे करे हैं तथा चने आदिक की होलें करी हैं तथा सिंघाडे शकरकंदी आदिक को भाठ में दाबते हैं उन को बज्र के रेत को गर्म लाल केसू के फूल की तरह करके उसमें दाब २ के पीडा देते हैं ॥ ४ ॥ और जिन्होंने करेले मूली और जामन को नूण लगा २ धूप लगाई है तथा कंद (गाजर आदि) की कांजी याने अचार,