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पितादि से रहित दुःख भोगते हैं क्योंकि. नर्क में गर्भादि विहार नहीं है नर्क में तो
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पाप के करने वाला पुरुष काल करके कुम्भी में तथा क्षेत्र वास में स्वतः ही कर्माऽवनि अशुद्ध परमाणुओं में कीडों की तरह मनुष्याकार पारावत देह धारी पैदा होता है और दूसरे असुर वेदना नर्क में प्राणी सहते हैं जैसे कसूरकार को हुकमकार ताडता है ऐसे असुर यानि यमराज वा बली राज के हुकम से नार्कियों को उनके कर्मानुसार नाना प्रकार की पीड़ा देते हैं । यथा जिन्होंने इस लोक में बन काटने का कर्म किया है उन को वहां वैसे बड़े २ तीक्षण आरे से चीरते हैं परन्तु वह कर्म योग से मरते नहीं ॥ १ ॥ और जिन्होंने गाड़ी आदि का भाड़ा