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के तलाब के समान सुख माने, क्योंकि खेर अंगारों से अनन्त गुणी गर्मी नर्क में स्वतः ही है तस्मात् कारणात् नार्की प्राणी खेर अंगारों में सुख माने है, यथा किसी पुरुष के सिरपै ५ मन बोझ था. सो सब उतार दिया सेर भर बोझ रह गया तो वह परम सुख माने सो इस दृष्टांत करके नर्क में अनन्त गर्मी की वेदना है ॥
(५) पञ्चमअनन्त रोग । (६) छठा अनन्त शोक । (७) सातवां अनन्त जरा । (८) आठवा अनन्त ज्वर । (९) नवम अनन्त दाह । और (१०) दशम अनन्त दुर्गन्धि । यह १० दश प्रकार की क्षेत्रवेदना नार्की दशा में अधम नर भोगते हैं और नर्क में निराश्रय निराधार सजन माता