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के वस्त्र इनकी मर्यादा करे परन्तु चर्म के वस्त्र तो बिलकुल त्याग दे, और रात्रि भोजन का भी त्याग करे क्योंकि रात्रि को भोजन करने में लौकिक जूम, लीख, मच्छर मकड़ी आदि पड़ने से रोगादि हो जाते हैं| यथा श्लोक-मेधां पिपीलिका हन्ति, यूकाकुजिलोदरम् । कुरुते मक्षिकावान्ति कुष्ठरोगंच कौलिका ॥ १ ॥ इत्यादि।
और सभी मतों में रात्रि भोजन का निषेध है यथा महाभारत पुरान में श्लोकमद्य मांस मधु त्यागं सहोदुंबरपञ्चकं । निशाहारं न गृहणीयाः पंचमं ब्रह्म लक्षणम् ॥१॥ इति और परलोक में अधर्म (हिंसादि) होने से दुर्गतादि विरुद्ध होता है और इत्यादि शास्त्रों द्वारा घना विस्तार जान लेना ।