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सो ऐसे पदार्थों की मर्यादा कर लेवे क्योंकि संसार में अनेक पदार्थ हैं और सर्व पदार्थ पांच प्रकार के आरम्भ से सभी के वास्ते बनते हैं सो मर्यादा करे बिना सब पदार्थों की पैदायश का आरम्भ रूप पाप हिस्से बमुजिब आता है क्योंकि इच्छा के प्रमाण करे बिना न जाने कौन सा शुभाशुभ पदार्थ भोगने में आजाय तस्मात् कारणात् ऐसे मर्यादा कर लेवे कि जैसे २४ चौबीस जाति का धान्य अर्थात् अन्न है तिस की मर्यादा करे कि इतने जाति के अन्न नहीं खाऊंगा जैसे कि मडुआ चोलाई कंगनी स्वांक इत्यादि धान्य का बिलकुल त्याग करे और फलों की मर्यादा करे परन्तु जो जमीन में फल उत्पन्न होता है जैसे कि लस्सन गाजर मूली इत्यादि