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और पूर्व के ७५ योजन चला जाऊंगा (ऐसे करे नहीं) ५ पांचवें ऐसे भ्रम पड़ गया हो कि मैंने न जाने पश्चिम को ५०योजन रक्खा था और पूर्व को १०० योजन रक्खा था न जाने पश्चिम को १०० योजन रक्खा था तो | फिर पूर्व को और पश्चिम को ५० योजन | उपरान्त जाय नहीं । इति १प्रथमगुणवतम्।।
॥ अथ द्वितीय गुण व्रत प्रारम्भः॥ . . द्वितीय गुण व्रत में उपभोग्य परिभोग्य पदार्थ का यथा शक्ति प्रमाण करे अर्थात उपभोग्य पदार्थ उसको कहते हैं, कि जो पदार्थ एक वार भोगा जाय जैसे कि दाल भात रोटी पक्यान्न आदि और परिभोग्य पदार्थ उसको कहते हैं कि जो पदार्थ वार २ भोगा जाय जैसे कि फूल कपड़ा स्त्री मकानआदि