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| इत्यादिक दिशाओं की मर्यादा करे जैसे कि मैं इतने कोस उपरान्त स्वेच्छा कायाकरी आरम्भ व्यापारादि के निमित्त जाऊंगा नहीं क्योंकि उतने कोस उपरान्त बाहरले क्षेत्र के छः काय के हिंसा रूप वैर की निवृत्ति रहेगी इत्यर्थम् । फिर ऐसे न करे कि पूर्वक जो ऊंची १ नीची २ तिर्की ३ दिशा काजितना प्रमाण करा हो उसे विसरा देवे क्योंकि जो विसारेगा तो शायद ज्यादा जाना पड़ जाय
और ४ चौथे ऐसे न करे कि मैने पूर्व की दिशा को ५० योजन जाना रक्खा है और पश्चिम को भी ५० योजन जाना रक्खा है | सो पश्चिम को जाने का तो काम कम पड़ता है और पूर्व को बहुत दूर तक जाना पड़ता है तो पश्चिम को २५ योजन जाऊंगा