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या रक्खा था और अब ज्यादा रुपया हो गया तो अब मकानादि बनवा लूंगाअपितु | ज्यादा हो जाय तो अन्नय दानादि धमापकार में लगा दे इत्यर्थः ॥ इति पञ्चाऽनुव्रतानि ॥ ५॥ अथ ७ सात शिक्षा व्रत लिखते हैं, सो इन ७ शिक्षा व्रतों में से प्रथम तीन शिक्षा व्रतों को गुण व्रत कहते हैं (कस्मात् कारणात) कि इन तीन गुण व्रतों के अङ्गीकार करने से पूर्वक पांच अनुव्रतों को सम्बर रूप गुणकी पुष्टि होत भई है इत्यर्थः॥
॥ अथ प्रथम गुण व्रत प्रारम्भः॥
प्रथम गुण व्रत में दिशा की मर्यादा करे जैसे कि ऊंची दिशा पर्वत महल ध्वजादिक और नीची दिशा कुआं आदिक ओर तिठी दिशा पूर्व१ दाक्षिण पश्चिम उत्तर