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पलङ्गादि एक आसन में बैठे नहीं और छः वर्ष के उपरन्त की बेटी हो तो उसे अपनी शय्या में निद्रागत करे नहीं अर्थात् सुलावे नहीं और ऐसे ही स्त्री को चाहिये कि अपने पति के सिवाय और कोई बहनोई तथा ननदोई तथा कोई और पाहुणा तथा नौकर वा पडोसी हो तिस के सामने कटाक्ष नेत्रसे देखे नहीं तथा दंत पंक्ति प्रकटाय के हंसे नहीं और विना कार्य बोले नहीं और पूवक मनुष्यों के साथ अकेली रस्ते में बाट | चले नहीं तथा एकान्त स्थान में अकेली रहे नहीं । और विधवा स्त्री को तो विशेष ही पूर्वक कार्य वर्जित हैं और विधवा स्त्री | को श्रृंगार न करना चाहिये क्योंकि (कार्या न पेक्षत्वेकारणमेवं निष्फल मिति ) अर्थात्