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काया) सचित्त कह्या और ६ त्रस्य काय (जो) जिन का त्रास भाव प्रकट मालूम होय यथा (१) दींद्रिय कीड़ा आदिक (२)त्रींद्रिय षद पदी कीड़ी की जाति यूकालिक्षादि (३) चतुरिन्द्रिय मक्षिका मक्खी मच्छरादि और (४) पंचेन्द्रिय सो १ जलचर जीव मच्छादि २ स्थलचर जीव गाय घोड़ा आदि ३ खेचर जीव पक्षी तोता चटक (चिड़िया) आदि ४ उरपर जीव सर्पादि ५ भुजपर जीव चूहा नेवलादि । सो यह छः काय रूप जीव हैं, सर्व जो इनका सम्पूर्ण वर्ण १ गन्ध २ रस ३ स्पर्श ४ स्वभाव ५ संस्थान ६ आयु ७ उगाहणा ८ आदि कथन देखने हों तो जैन शास्त्र दसवैकालिक जीवाभिगम पन्नवणा जी में विस्तार सहित देख लेना सो ये सब
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