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आश्री अलोवणा करे अर्थात् पूर्व जन्मांतरों | के यथा तेली के १ तम्बोली के २ भड़ जे
के ३काछी के ४ माछी के ५ सिगलीगर के ||६ बाजीगर के ७ कसाई के ८ दाई के ९
ठठयार के १० भठयार के ११ मनयार के १२ चम्मार के १३ कृषाण के १४इत्यादिक आर्य अनार्य जन्मों के पापों का पश्चात्ताप करें तथा इस जन्म के पाप अर्थात् अनाचार कर्म बालहत्या तथा विश्वासघात तथा धरोड़मारण तथा ७. कुव्यसन तथा १५ कर्मादान. जिन का स्वरूप आगे लिखेंगे अथवा कुगुरु, कुदेव कुधर्म, सेवन रूप मिथ्यात इत्यादि अकार्य
करे होंय स्ववश अथवा परवश तो इनको | सदगुरु गंभीर पण्डित पुरुषों के आगे ऐसे कहे कि मेरे से अमुक अपराध हुआ सो