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रही और फिर आकाश के विनाश होने पर सामग्री कहां घरी रहेगी ||९|| और फिरआर्याभास हावलम्बी लोक प्रथम तो कहते हैं। कि सत्यात्म चिदानन्द एक ही है और फिर कहते हैं, कि एकर जीव तो अनादि अनंत कर्म सहित है और एक २ जीव अनादि सांत कर्म सहित है || उत्तरपक्षी | हम तुम को पूछते हैं कि जब आत्मा एक ही है तो फिर क्या आधी आत्मा को अनादि अनंत कर्म लगे हुए हैं और आधी आत्मा को अनादि सांत कर्म लगे हुए हैं ! सो तुम किस न्याय से एक आत्मा मानते हो और दो प्रकार के पूर्वक कर्मों के सहित जीव मानते हो क्योंकि तुम्हारे पहले कहने को तुम्हारा ही पिछला कहना उत्थाप रहा है । (कस्मात्