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ईश्वर को जगत का कर्ता किस न्याय से ठहराते हो सिवाय मेहनत के । जैसेकि मेदा घी ओर खांड यार है और कड़ाही, कड़छी और अग्नि लकड़ी सव यार हैं तो फिर हलुवा बनाने वाले की क्या सिद्धता है सिवाय परिश्रम अर्थात् मिहनत के । क्योंकि कर्ता तो पदार्थ का वह कहाता है कि जो निज शक्ति से अन हुई वस्तु अकस्मात पैदा करके पदार्थ वनावे क्योंकि होती वस्तु का बनाना, सवारना तो मजदूरी है इत्यर्थः और फिर यह भी बताओ कि जगत बनाने की सामग्री क्याधी और परमाणु का क्या स्वरूप है और सामग्री काहे की बतती है और परमाणु किस काम आते हैं और जगत वनाने की सामग्री आकाश विना काहे में धरी