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पदार्थ के अनेक खण्ड कैसे भए इत्यर्थे ||८|| और ऐसे अनेक मतांतरों के परस्पर विरोध और वाद विवाद रूप अनेक कथन लिख सक्ते हैं परन्तु यहां संक्षेप मात्र ही लिखे हैं जैसेकि वैदिकाभास (आर्य ) लोक कहते हैं कि ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका में पृष्ट ११७ में लिखा है कि जब यह कार्य रूप सृष्टि उत्पन्न नहीं हुई थी तब एक ईश्वर और दूसरा जगत कारण अर्थात् जगत, बनाने की सामग्री मौजूद थी और आकाशादि कुछ न था यहां तक कि परमाणु भी न थे । उत्तरपक्षी । सो यह भी कहना तुमारा ऐसा है कि जैसे बंध्या के पुत्र के आकाश के पुष्पों का सेहरा बांधा, क्योंकि जब जगत बनाने की सामग्री मौजूद थी तो फिर