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करे और उसके मुखारविंद से शास्त्रार्थ न्याय || वाक्य विलास सुने तथा परिवारीजनों को तथा अन्य नर नारियों को प्रेरणा करे कि अरे ! भाइयो ! तुम शास्त्र सुनों और श्रद्धा करो क्योंकि सन्त समागम दुर्लभ होता है इत्यादि० और जाते हुए साधु की प्रदक्षिण रूप भेट देकर दर्शन करे विनय साधे यथा सूत्र विनय द्वारम् ।। अगर इसमें कोई मतपक्षी तर्क करे कि साधु को लेने जाने में क्या हिंसा नहीं होती है ? तो उसको यह उत्तर देना चाहिये कि विना उपयोग चले तो हिंसा होती हे ओरे सूत्र का न्याय तो ऐसे है कि यथा दशवै कालिके उक्तंच " जयंचरे जयंचिठे" इति वचनात् ॥ और इस पर कोई फिर तर्क करे कि हम भी तो फूल आदिक जिन भक्ति
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